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आंखों की जटिल बीमारियों को पकड़ने में माहिर है ऑक्यूलर अल्ट्रासाउंड
इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन के मुरादाबाद चैप्टर और सोसाइटी ऑफ ऑन्कोलॉजिक इमेजिंग इंडिया की ओर से एसओआईआई आउटरीच प्रोग्राम का आयोजन किया गया। कचहरी के पास आईएमए हॉल में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आधुनिक इमेजिंग तकनीकों पर अनुभव साझा किए।
विशेषज्ञ वक्ताओं ने चेस्ट एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, लंग कैंसर में रेडियोमिक्स व रेडियोजेनोमिक्स, कॉमन वैस्क्यूलर इंटरवेंशन तथा इन-प्लेन और आउट-प्लेन बायोप्सी तकनीकों पर विस्तार से व्याख्यान दिए। सोसाइटी ऑफ ऑन्कोलॉजिक इमेजिंग इंडिया के प्रेसीडेंट डॉ. पंकज शर्मा ने बताया कि किस प्रकार सामान्य चेस्ट एक्स-रे के माध्यम से फेफड़ों से जुड़ीं गंभीर बीमारियों की शुरुआती पहचान संभव है। उन्होंने केस बेस्ड डिस्कशन के जरिए एक्स-रे पढ़ने की बारीकियों, पैटर्न पहचान और डायग्नोस्टिक एप्रोच को सरल भाषा में समझाया।
बरेली के डॉ. मोहित अग्रवाल ने ऑक्यूलर अल्ट्रासाउंड पर अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि आंखों से जुड़ी कई जटिल समस्याओं में अल्ट्रासाउंड से त्वरित और सटीक निदान संभव हो पाता है। लंग कैंसर में रेडियोमिक्स और रेडियोजेनोमिक्स पर बोलते हुए टीएमयू के प्रो. राजुल रस्तोगी ने बताया कि कैसे इमेजिंग डेटा और जेनेटिक जानकारी के संयोजन से कैंसर के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।
एसआरएमएस बरेली की डॉ. नम्रता सिंह ने कॉमन वैस्क्यूलर इंटरवेंशन और उसके लक्षण पर प्रकाश डाला। डॉ. नम्रता ने कहा कि न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों के माध्यम से रक्त वाहिकाओं से जुड़ी बीमारियों का प्रभावी इलाज संभव है। उन्होंने एंजियोप्लास्टी, एंबोलाइजेशन जैसी प्रक्रियाओं की उपयोगिता पर भी चर्चा की।
बायोप्सी तकनीकों का दिखाया लाइव डेमो
हल्द्वानी के इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मोहित तयाल ने इन-प्लेन और आउट-प्लेन बायोप्सी तकनीकों का लाइव डेमो प्रस्तुत किया। इस सत्र में प्रतिभागियों को सुरक्षित और सटीक बायोप्सी प्रक्रिया की जानकारी मिली। सीएमई में एक टेक्निकल टॉक का आयोजन भी किया गया। इसमें नई इमेजिंग टेक्नोलॉजी और उपकरणों की जानकारी दी गई। सीएमई में एसओआईआई के सचिव डॉ. सुधीर काले, आयोजन अध्यक्ष डॉ. सीमा मिढ्ढा, प्रो. विजय प्रताप, आयोजन सचिव डॉ. अनस फहीम आदि मौजूद रहे।
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