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VIDEO : श्रावस्ती : गौतम और गाजी की धरती पर कभी रंग नहीं ला सका मिशनरियों का प्रयास
गौतम और गाज़ी की इस धरती पर कभी ईसाई मिशनरियों को अपना धर्म पताका फहराने का मौका नहीं मिला। उनकी हर कोशिश सदैव नाकाम रही। सीमा क्षेत्र में मिशनरियों ने तमाम प्रार्थना सभा की, लेकिन हर बार नाकाम रहीं।जिले में ईसाई मिशनरियों का कभी प्रभाव नहीं रहा। कभी नोटिफाइडेरिया रही भिनगा के प्रशासक रहे जी डब्ल्यू डिक लाउडर ने भी भिनगा में ईसाइयों को बसाने का प्रयास किया। तब उन्होंने गिरिजाघर मोहल्ला बसाया था। सिर्फ सात माह का कार्यकाल होने के कारण वह ज्यादा कुछ नहीं कर सके।
गिरिजाघर मोहल्ले में आज भी सिर्फ पूर्व शिक्षक अनवर मसीह शाद का ही परिवार ही रहता है। गिरिजाघर मोहल्ला बाद में चीरघर के नाम से मशहूर हुआ। पहले नोटिफाइडियरिया से नगर पंचायत बाद में नगर पालिका परिषद बनी भिनगा में आज यह राजेंद्र नगर वार्ड के नाम से जाना जाता है जबकि मोहल्ले की पहचान आज कांशीराम कालोनी के रूप में होती है। वहीं भिनगा के ही सेमरी चकपिहनी में कुछ वर्ष पूर्व मिशनरी की ओर से एक स्कूल खोला गया, स्कूल में ही चर्च का निर्माण भी कराया गया।
मिशनरी का संदेश प्रसारित करने का प्रयास किया गया। क्षेत्रवासियों के विरोध के बाद स्कूल बंद कर संचालक फरार हो गया तब से यह बंद है। त्यौहार पर बहराइच से एक पादरी आकर दीप बत्ती पूजा कर लौट जाते हैं। इसकी देखरेख एक स्थानीय ग्रामीण करता है। करीब 85 वर्षीय अलक्षेन्द्र इंटर कॉलेज भिनगा के पूर्व भूगोल प्रवक्ता केशवराम पांडेय बताते हैं की कभी बहराइच का हिस्सा रहे श्रावस्ती में अंग्रेजों ने भी ईसाइयों को बसाने का प्रयास किया, लेकिन नाकामयाब रहे।
यहां अंग्रेज बन चुका हिन्दू
भिनगा के भंगहा निवासी पूर्व राज्यपाल सरदार जोगिंदर सिंह के घर अमेरिका निवासी स्टेनली रहता था, जो उनकी हवेली की देखभाल करता था। बाद में उसे अपने साथ ले जाने के लिए अमेरिका से परिवार के लोग कई बार भंगहा आए, लेकिन उसने जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद वह सिरसिया के पिपरहवा चला गया, जहां उसे करीब 200 बीघा भूमि मुफ्त मिली थी। बाद में एक थारू युवती से विवाह कर पूरा परिवार हिन्दू बन गया।
इकौना में रहता है ईसाई बना ब्राह्मण
परिवार इकौना थाना क्षेत्र के ग्राम पूरेदीनाम गढ़ निवासी दीनानाथ तिवारी का पुत्र प्रसाद तिवारी उर्फ कल्लू तिवारी उर्फ फास्टर तिवारी करीब दो दशक पूर्व केरल चला गया। यहां मिशनरी के संपर्क में आने के बाद न सिर्फ ईसाई बना, बल्कि ईसाई लड़की से शादी भी किया। अब इकौना में रहकर एक मिशनरी स्कूल की देखरेख भी करता है।
सीमापार लगती थी प्रार्थना सभा
सीमा पार नेपाल के बांके जिला अंतर्गत सीमा से सटे मोतीपुर, जमुनी, लालपुर, कोहला, निबुआ टांड़, हार्मिनिया व संतालिया सहित कुछ अन्य स्थानों पर कई वर्ष तक प्रार्थना सभा आयोजित होती रही। इसमें जिले सहित आसपास जिले के लोग शामिल होते थे, लेकिन सफलता नहीं मिली।
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