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मैथिलीशरण के काव्य ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को को दी आध्यात्मिक शक्ति
मैथिलीशरण गुप्त ने हिंदी काव्य को पहली बार एक सशक्त राष्ट्रवादी स्वर प्रदान किया। उनके काव्य ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति प्रदान की। यह बात छत्रपति शाहूजी महाराज विवि
और अखिल भारतीय सर्व वैश्य महासभा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त की 139वीं जयंती पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कही। विवि में आयोजित कार्यक्रम में उनके साहित्यिक योगदान को अध्यात्म, राष्ट्रभक्ति, सामाजिक चेतना और व्यक्तिगत अस्मिता के संदर्भ में व्यापक रूप से समझने का प्रयास किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद आबकारी एवं निषेध मंत्री नितिन अग्रवाल ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त ने आधुनिक हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी।
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