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VIDEO : Phaag of village Naultha in Panipat will be special, this time villagers will celebrate 993rd Phaag
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VIDEO : पानीपत में गांव नौल्था का फाग होगा खास, इस बार 993वां फाग मनाएंगे ग्रामीण
कभी माना जाता था कि ब्रज की होली, कुल्लू का दशहरा व नौल्था का फाग जिसने नहीं देखा उसने जिंदगी में कुछ नही देखा। नौल्था में 993 वर्ष पुरानी फाग उत्सव मनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। नौल्था के ऐतिहासिक फाग मनाने की परंपरा पिछले कई सालों से जिंदगी की तेज रफ्तार व समाज में आपसी सिमटते दायरे ने कम करने का काम किया है लेकिन अब की बार गांव की पंचायत व युवाओं के सहयोग से फाग उत्सव मनाने के लिए उत्साह देखा जा रहा है। ग्रामीणों का प्रयास है वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखा जाएगा। गांव मे सुखी डाट लगने से महोत्सव का शुभारंभ हो चुका है।
फाग उत्सव की परंपरा व इतिहास।
ग्रामीण जितेंद्र जागलान बताते हैं कि नौल्था में फाग उत्सव मनाने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी है। परंपरा के अनुसार गांव में सुखी डाट लगनी शुरू हो चुकी है। गांव में फाग उत्सव का शुभारंभ फाग से सप्ताह पूर्व गांव की चौपालों के पास सुखी डाट लगाने से होता था।
गांव में किसी प्रसिद्ध सांगी का सांग भी बुलाया जाता था। जो एतिहासिक, धार्मिक व देशभक्ति पर आधारित किस्सों का मंचन कर लोगो का मनोरंजन करते थे। इसके लिए भी प्रयास किया जा रहा है।
ग्रामीण चंद्र सिंह जागलान ने बताया कि फाग के दिन बाबा लाठे वाले व देवी देवताओं की झांकियां निकाल कर गांव की सभी चौपालों पर कढ़ायों में रंग उबाल कर रंगों की डाट खेली जाती थी। वह चाहते है कि वर्षो से चली आ रही परंपरा कायम रहे।
ग्रामीण राम कला जागलान ने बताया कि एक समय था कि जब गांव के घूमन जैलदार के बेटे सरदारा की फाग के दिन मौत हो गई। पूरे गांव में मातम छा गया था। फाग उत्सव को रोक दिया गया था। वर्षो से वली आ रही परंपरा न टूटे इस के लिए घूमन जैलदार ने कहा कि फाग उत्सव जरूर मनेगा बाद में बेटे का दाह संस्कार किया जाएगा। घूमन जैलदार ने रंग से पिचकारी भर बेटे की अर्थी पर मारी व फाग उत्सव शुरू हो गया। फाग उत्सव मनाने के बाद बेटे का दाह संस्कार कराया।
ग्रामीण तेजबीर जागलान ने बताया कि फाग से कई दिन पूर्व ग्रांव की चोपाल की दीवार के साथ दोनों तरफ ग्रामीण दोनों हाथ ऊपर उठा कर खडे़ होकर जोर आजमाइश करते हैं। इसको सुखी डाट कहा जाता है। फागवाले दिन ग्रामीण चोपाल के उपर रंग पका कर कढाओं में डाल चौपाल के नीचे खडे़ हो जाते है व ऊपर से सभी पर रंग फेंका जाता है इसे रंगों की डाट कहते है। फाग उत्सव को एक बार अंग्रेज सरकार ने 1944 में रोकने के लिए आदेश दिए थे। लेकिन लोगों में पनपते रोष के चलते बाद सीली सातम को फाग मनाने के निर्देश देने पर ग्रामीणों ने फाग उत्सव मनाया था।
सरपंच बलराज जागलान का कहना है कि फाग उत्सव में चली आ रही परंपराओं को पूरा करने के लिए तैयारियां चल रही है। परंपरा को निभाने के लिए मिल कर काम किया जा रहा है। फाग उत्सव के सफल आयोजन के लिए युवाओं की कमेटियां बनाई गई है।
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