उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद के लाल ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में इतिहास रच दिया है। खेकड़ा के मोहल्ला अहिरान के रहने वाले किसान नरेश यादव के बेटे सचिन यादव ने सात साल पहले बल्ला छोडक़र भाला थामा तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि वह इतनी जल्दी इतिहास रच देंगे.
टोक्यो में चल रही वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बृहस्पतिवार को सचिन देश के बाहुबली बनकर उभरे हैं। वह 86.27 मीटर भाला फेंककर पदक भले ही नहीं जीत सके मगर हर किसी का दिल जीत लिया.
किसान नरेश यादव के घर 25 अक्तूबर 1999 को जन्म लेने वाले सचिन यादव का सपना क्रिकेटर बनना था। साढ़े छह फीट लंबे सचिन 2018 तक क्रिकेट खेलते थे और खेकड़ा की टीम के विकेटकीपर होने के साथ ही बल्लेबाजी थे। सचिन ने अपने पड़ोस में रहने वाले भाला फेंक के खिलाड़ी संदीप यादव को प्रैक्टिस करते देखा तो भाला फेंककर देखने लगे। सचिन ने पहली बार में 57.5 मीटर दूर भाला फेंका तो संदीप ने उनको एथलेटिक्स में कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित किया।
सचिन ने तभी से भाला फेंकना शुरू कर दिया। पिता नरेश यादव व बड़े भाई विपिन ने खेती करके सचिन को खेल में पूरा सहयोग किया। हालांकि सचिन प्रैक्टिस करने के साथ ही खेती में पिता का हाथ बंटाते थे। सचिन ने भाला फेंक में बेहतर प्रदर्शन करना शुरू किया और स्टेट व नेशनल में पदक जीते तो खेल कोटे से यूपी पुलिस में तीन साल पहले भर्ती हो गए। वह इस समय गौतमबुद्धनगर में सिपाही हैं। टोक्यो में चल रही वल्र्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सचिन यादव ने पहले ही प्रयास में अपने कॅरियर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया। पहले प्रयास में सचिन ने 86.27 मीटर दूर भाला फेंका।
ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता नीरज आठवें और पाकिस्तानी खिलाड़ी अरशद नदीम दसवें स्थान पर रहे। ऐसे में सचिन यादव नया सितारा बनकर उभरते दिख रहे हैं। यह ऐसे ही नहीं कहा जा रहा है बल्कि सचिन ने एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था। इसके अलावा देहरादून में हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में 84.39 मीटर के मीट रिकॉर्ड थ्रो के साथ सचिन ने स्वर्ण पदक जीता था।